लहरा लहरा लहरा तिरंगे प्यारे
Month: December 2022
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
स्वर्ग से सुंदर देश हमारा भारत इसका नाम
स्वर्ग से सुंदर देश हमारा भारत इसका नाम
देश है पुकारता,पुकारती माँ भारती
देश है पुकारता,पुकारती माँ भारती
हम भविष्य है हम है भावी भारत की पहचान
हम भविष्य है हम है भावी भारत की पहचान
भारत देश हमारा न्यारा हमें बहुत है प्यारा
भारत देश हमारा न्यारा हमें बहुत है प्यारा
मानस की चौपाईयां
श्रीरामचरितमानस की चौपाईयां
अष्टादश श्लोकी गीता
अष्टादश श्लोकी गीता
भोजन मंत्र
ॐ ब्रहमार्पणं ब्रहमहविर्ब्रहमाग्नौ ब्रहमणा हुतम् ।
ब्रहमैव तेन गन्तव्यं ब्रहमकर्मसमाधिना ॥
सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु ।
सह वीर्यं करवावहै ।
तेजस्विनावधीतमस्तु ।
मा विद्विषावहै ॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:: ॥
प्रातः स्मरण मंत्र
प्रात: कर-दर्शनम्-
कराग्रे वसते लक्ष्मी:, करमध्ये सरस्वती ।
कर मूले तु गोविन्द:, प्रभाते करदर्शनम ॥१॥
पृथ्वी क्षमा प्रार्थना- समुद्रवसने देवि ! पर्वतस्तनमंड्ले ।
विष्णुपत्नि! नमस्तुभ्यं पाद्स्पर्श्म क्षमस्वे ॥२॥
ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरांतकारी
भानु: शाशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्र: शनि-राहु-केतवः
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ॥३॥
सनत्कुमार: सनक: सन्दन:
सनात्नोप्याsसुरिपिंलग्लौ च ।
सप्त स्वरा: सप्त रसातलनि
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ॥४॥
सप्तार्णवा: सप्त कुलाचलाश्च
सप्तर्षयो द्वीपवनानि सप्त
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ॥५॥
पृथ्वी सगंधा सरसास्तापथाप:
स्पर्शी च वायु ज्वर्लनम च तेज:
नभ: सशब्दम महता सहैव
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम ॥६॥
प्रातः स्मरणमेतद यो विदित्वाssदरत: पठेत।
स सम्यग धर्मनिष्ठ: स्यात् संस्मृताsअखंड भारत: ॥७॥
भावार्थ: हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, मध्य में सरस्वती तथा मूल में गोविन्द (परमात्मा ) का वास होता है। प्रातः काल में (पुरुषार्थ के प्रतीक) हाथों का दर्शन करें ॥१॥ पृथ्वी क्षमा प्रार्थना: भूमि पर चरण रखते समय जरूर स्मरण करें.. समुद्ररूपी वस्त्रोवाली, जिसने पर्वतों को धारण किया हुआ है और विष्णु भगवान की पत्नी हे पृथ्वी देवी ! तुम्हे नमस्कार करता हूँ ! तुम्हे मेरे पैरों का स्पर्श होता है इसलिए क्षमायाचना करता हूँ ॥२॥ है ब्रह्मा, विष्णु (राक्षस मुरा के दुश्मन, श्रीकृष्ण या विष्णु) , शिव (त्रिपुरासुर का अंत करने वाला, श्री शिव), सूर्य, चन्द्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु सभी देवता मेरे दिन को मंगलमय करें ॥३॥